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Showing posts from January, 2020

Govt, petitioners spar over stay on CAA

शाहीन बाग़ से संविधान -शरीफ का पाठ  :काठ का उल्लू बने रहने का कोई फायदा ? नगर -नगर डगर- डगर हर पनघट पर  पढ़ा जा रहा है :संविधान शरीफ। ताज़्ज़ुब यह है ये वही लोग  हैं  जो केवल और केवल  क़ुरान शरीफ (क़ुरआन मज़ीद ,हदीस )के अलावा और किसी को नहीं  मानते -तीन तलाक से लेकर मस्जिद में औरत के दाखिले तक। ये वही मोतरमायें हमारी बाज़ी और खालाएँ जो हाथ भर का बुर्क़ा काढ़ लेती हैं घर से पाँव बाहर धरने से पहले।   कैसे हैं ये खुदा के बन्दे जो जुम्मे की नमाज़ के फ़ौरन बाद हिंसा में मशगूल हो जाते हैं -नागरिकता तरमीम क़ानून के खिलाफ।  कितना कौतुक होता है जब तीन साल की बच्ची से कहलवाया जाता है :आज़ादी आज़ादी लेके रहेंगे आज़ादी ज़िन्ना वाली आज़ादी। इस बालिका को क्या इसके वालिद साहब और अम्मीजान तक को इल्म नहीं होगा जिन्ना आखिर कौन था फिर वह तो पाकिस्तान चला गया था। (आप लोग भी आज़ाद हैं वहां जाने के लिए ). सब जानते हैं बंटवारा देश का उसी ने करवाया था यह कहकर मुसलमान हिंदू भारत के साथ नहीं रह सकता है। कितने ही उनके साथ चले भी गए थे।  उनकी मृत्यु के बाद १९४९ में ज़नाब लियाकत अलीखान (वज़ीरे खानम )ने ज़िन्ना के सेकुलर पाकिस्तान ख