गोधरा करवाने का जेहादियों के साथ किनका तालमेल था ?यह जग जाहिर है। हिन्दू परिवारों को तोड़ने के लिए ऐसे क़ानून बनाये के बहन भाइयों के सहज मेल को नष्ट कर उन्हें संपत्ति अधिकार में उलझा दिया

पहले अंग्रेज़ों से मिलकर सिखों को अलग करवाया फिर ,जैनियों को वृहत्तर दायरे से सनातन धर्म के बाहर निकलवाया यह तो गनीमत रही इन्हें ये इल्म नहीं हुआ के जैनियों में भी स्वेताम्बर और दिगंबर दो अलहदा सम्प्रदाय होते हैं वरना इनके बंटवारे का काम भी इसी खानदान के हाथों संपन्न होता।कर्नाटक में शैव सम्प्रदाय से से लिंगायतों को अलग करने का बेशर्म निर्णय लिया इन लोगों ने। नेहरू कांग्रेसियों के द्वारा दो बार हिंदू समाज के संतों की हत्याएं करवाईं गईं ।इंदिराम्मा ने तो देश के संविधान को ही पलीता लगाके आधी रात को देश में आपातकाल लागू कर दिया। रायसीना हिल से दम अगले दिन हिलवाई गई। कोशिश तो इनकी बाबा रामदेव के सफाये की भी थी पर वे ईश्वर की कृपा से बच गए।
गोधरा करवाने का जेहादियों के साथ किनका तालमेल था ?यह जग जाहिर है। हिन्दू परिवारों को तोड़ने के लिए ऐसे क़ानून बनाये के बहन भाइयों के सहज मेल को नष्ट कर उन्हें संपत्ति अधिकार में उलझा दिया। इन्हीं के प्रताप से परिवारों में लेस्बियन प्रवृत्ति को उभारा गया। साध्वी प्रज्ञा जैसे निरपराध संतों पर ज़ुल्म किया गया। हिन्दुओं के प्रति इनके मन में बेशुमार ,बेहद की (अनंत) नफ़रत है। कभी प्रधानमन्त्री रहे सरदार मनमोहन सिंह से कहलवाया गया के देश के संशाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का है। देश की हिन्दू जनता इनसे इतनी तंग है के उनकी सामूहिक आह शाप बनकर नेहरू कांग्रेसियों पर पड़ेगी। वक्त दूर नहीं है।जब ये ४४ से चार पर आके मानेंगे।
वक्त दूर नहीं है
Comments
Post a Comment