Skip to main content

कोरोना काल धरती की सुधरती सेहत का 'दर्शन शास्त्र ' इतिहास के सबसे स्वच्छ 'Earth Day ' का DNA विश्लेषण


खोया तो बहुत  कुछ लेकिन वो क्या कहते हैं हर चीज़ के दो पहलू होते हैं -एक कृष्ण पक्ष एक शुक्ल पक्ष। यहां हम शुक्ल पक्ष का ज़ायज़ा तो लेंगे ही साथ ही यह भी देखेंगे हम कैसा पाखंड पूर्ण दोहरा जीवन जी रहें हैं।जहां हम अब तक डेढ़ पृथ्वी के समतुल्य संसाधन  चट कर चुकें हैं और असलियत  से जलवायु संकट की ज़ोरदार दस्तक से ट्रंप सोच के चलते  आँखें मूंदे हुए हैं।जबकि प्रकृति ने अपनी इच्छा जाहिर कर दी है।         
'



अब हम खाना खाने से पहले ही नहीं दिन में कई मर्तबा साबुन से रगड़ -रगड़ कर तसल्ली से हाथ धोने लगें हैं पूरे चालीस सेकिंड कोई -कोई तो एक मिनिट तक हाथ ही धौ रहा है। क्या यह कोरोना कम्पलसिव ऑब्सेसिव  बिहेवियर है -ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर है या हमारे इस दौर की हकीकत के अब ज़िंदा रहने के लिए हाथ  धोना ज़रूरी हो गया है। दादी माँ कबसे कहती थी हम नहीं समझे -कहते थे हाथ उतने गंदे ही नहीं किये हैं जो धोना पड़े। 

आज हम लोकडाउन में हैं ,प्रकृति स्वतन्त्र है ,जानवर मॉल्स में घूमने लगें हैं हाथियों के झुण्ड मुख्य मार्ग क्रॉस कर रहें हैं मोर नांच रहें हैं, नदियों का पानी पारदर्शी हो गया है स्वच्छ है पेय है। नदियों की स्वत : शोधन की क्षमता लौट आई है। क्या हमारे लिए यह सबक नहीं हैं हम सात सौ अस्सी करोड़ लोग पृथ्वी अम्मा का सम्मान करना सीखें उसके संकेतों को समझें। 

क्या सिम्बिओटिक लिविंग परस्पर सहजीवन सहपोषण नहीं हो सकता हमारे और शेष जीव -प्रजातियों के बीच ? आइंदा पशु पक्षी परिंदे हमारे चिड़िया घरों में अजायबघरों में हमारे मनोरंजन का वॉयस (साधन )न बन अपने प्राकृत आवासों कुदरत द्वारा बख्शे गए घरोंदों में हेबिटाटों में रहें।अब तक जो हो चुका सो हो चुका हम एक ट्रिलियन पेड़ लगाए (दस खराब नए पेड़ लगा उनकी हिफाज़त कर हम जलवायु परिवर्तन के संकट को अब भी टाल सकते हैं। क्या हम ट्रम्प की  मानेंगे या अबके नवंबर जो बिडेन को लाएंगे जो पर्यावरण को बचाने पेरिस समझते के अनुरूप कदम उठा सकते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर हमारी हवा में अब ३३२ पार्ट पर मिलियन से ऊपर न जा पाए। क्या यह असंभव है ऐसा कर दिखाना इस शती  के अंत तक नामुमकिन है ?कोरोना टाइम्स पूछता है।   

बीओडी जल में घुलित ऑक्सीजन की वह मात्रा है जो ऑक्सीजन सेवी जलजीवों के  लिए मज़े से कार्बनिक पदार्थ के चयन अपचयन निम्नीकृत करने पचाने के लिए किसी ख़ास तापमान पर एक कालावधि में चाहिए होती है। घुलित ऑक्सीजन  कमी को ही बीओडी कहते हैं। गंगा जल इसीलिए नहीं सड़ता था क्योंकि गंगोत्री गंगा स्रोत स्थल पर इसमें घुलित ऑक्सीजन की  मात्रा बहुत अधिक होने के अलावा यहां  वेग के साथ गंगाजल गिरता है। आपने देखा है हलावाई को कढ़ाई का दूध एक से दूसरे चौड़े पात्र में उछालते  वह घुलित ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने की कोशिश ही है।कई लोग घरों में भी दूध उबालते वक्त चमचे से  दूध भर के बार -बार कढ़ाई में एक ऊंचाई से गिराते वक्त अपने अनजाने ही इस वैज्ञानिक क्रिया को करते हैं।मोटे तौर पर हम कह सकते हैं जितना बीओडी एक क्रांतिक मान के नज़दीक आएगा उतनी ही जल की गुणवत्ता ऊपर आएगी अ -मल -निर -मल समझा जाएगा पानी। कृपया नीचे दिया गया लिंक (सेतु )देखें। 

Comments

Popular posts from this blog

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

Karpur Gauram Mantra: भगवान शिव की आरती के बाद जरूर पढ़ते हैं यह मंत्र हिंदू सनातन धर्म में पूजा के समय मंत्र उच्चारण का बहुत महत्व माना जाता है। शास्त्रो में भी सभी देवी-देवताओं की पूजा में अलग-अलग मंत्रों के उच्चारण का विशेष महत्व बताया गया है। मंत्र जाप करने या उच्चारण करने का केवल धार्मिक महत्व ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी माना जाता है। मंत्र जाप करने से शरीर में एक प्रकार का कंपन उत्पन्न होता है, जिससे हमारे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह होता है। हिंदू धर्म में हर मांगलिक अनुष्ठान मंत्रोच्चारण के साथ ही संपन्न किया जाता है। मंदिरों में दैनिक पूजा में आरती के पश्चात कुछ मंत्रो का उच्चारण विशेष रुप से किया जाता है। एक मंत्र ऐसा भी है जिसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। इस मंत्र का उच्चारण अवश्य किया जाता है। https://www.amarujala.com/spirituality/religion/know-the-karpur-gauram-karunavtaram-mantra-meaning-and-significance-in-hindi भगवान शिव की आराधना का पवित्र माह सावन आज से शुरू हो गया है। आज से 30 दिनों तक भगवान शिव और माता पार्वती के साथ उनके परिवार की भी पूजा होगी। समस्त मंगलकामन...

They Love Their Water Bodies (US and India III installments ,HIndi ):प्रेम करो जल से थल से नभ से तभी खुद को प्रेम कर पाओगे। हमारा पर्यावरण पारिस्थितिकी ही तो हम हैं

 शिकागो में शिकागो नदी के अलावा एक झील भी है एक पूरा हिमनद (ग्लेशियर )इसका नियमित जलश्रोत है। संध्या को शिकागो स्काई लाइन देखते वक्त मैंने देखा झील के निर्मल पारदर्शी पानी में तलहटी में पड़ा एक पैन्स भी गोचर होगा मुखरित होगा किसी सुमुखि के चेहरे सा। नियाग्रा फाल्स को नियाग्रा शहर (कनाडा )और बुफैलो (न्यूयॉर्क ,अमरीका )की तरफ से भी देखा बुफालो साइड से फाल के नज़दीक पहुँच कर देखा सिक्के पड़े हैं स्वच्छ जल में अपनी अलग पहचान और अस्तित्व के साथ।  यहां अपने प्रांगण में गंगा एवं इतर नदियाँ   गीत संगीत में हमारे  गानों में हमारी माँ हैं  व्यवहार में रखेल सा बर्ताव क्या हम उनके साथ नहीं करते शव से लेकर कुछ भी उनमें विसर्जित कर देते हैं शहरी अपशिष्ट मलमूत्र से लेकर कुछ भी कभी  छट पूजा तो कभी गणेशचतुर्थी कभी दुर्गा पूजा के नाम पर।  अमरीकी और योरोप वासी अपने परिवेश को, निकटतर  एम्बिएंस को साफ़ सुथरा रखते हैं जी जान से। हमारी मिट्टी ,हवा और पानी ही तो हम हैं। एक दिन हमें भी सुपुर्दे ख़ाक होना है उस साइल को तो न गंधायें ,हवा पानी मिट्टी यहां सबकुछ गंधाने लगा है...

7 Chakras and Body Health

7 Chakras and Body Health BY   AMANDA FILIPOWICZ, CNP, BES NOVEMBER 28, 2017 Illness is bred in the body not only as a result of genetic mutation or poor luck in health, not solely from smoking or eating bad food, for an illness is as much degradation of the mind as it is of the body. The way one feels mentally, spiritually, and one’s attitude to life – all these things no matter how small play a part in the health of the body. It is important to understand that one’s outlook on life, the words that one uses in everyday conversations and the personal thoughts and feelings that are kept in the darkest corners of the mind play a role in the integrity of the body’s wellness. One way to look at the psychology of disease is through the seven chakras of the body. The seven chakras include; the root chakra, the sacral chakra, the solar plexus chakra, the heart chakra, the throat chakra, the third eye chakra and lastly the crown chakra. Chakras are the seve...