संसद बनी है खेल तमाशा ,पोता खेले खुलकर खेल ,
परलोकि दादी मुस्काए ,करदे बेटा रेलमपेल।
रखियो लाज कुटुम की पूरी वरना बेचेगा तू तेल।
फिर से फाड़ विधानिक निर्णय खड़गे सुरजे को ही ठेल।
होते रहते रोज़ फैसले ,चुके मत ना, बना दे रेल।
राफेल को बोफोर्स बना दे ,सौदे को यकदम बे -मेल।
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