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खुद सोनिया जी हिंदी उचक उचक के ऐसे पढ़तीं है जैसे किसी मदरसे के बालक पढ़ रहें हों- अलिफ़ ,बे, ते ....

(मोहनदास करमचंद गांधी )नाम की चोरी करने वाले घेंडी  गांधी कब हुए ?कैसे हुए ?आजतक किसी ने शीर्ष अदालत में जाकर नहीं पूछा। जाट कालिज रोहतक में हमारे एक प्राध्यापक बंधू (बंधु ?) हुआ करते उनके एक और भाई थे उनकी मॉडल टाउन चौक (रोहतक )में एक किताबों की दूकान(किताब घर )हुई करती थी उनका एक छोटा भाई दूकान पर बैठता था खाली वक्त में प्रोफ़ेसर साहब भी दूकान पर आ जाते थे। लोग उनकी इज़्ज़त करते थे। आज सोनिया जी को बतलाते चलें जिनकी सासु माँ नेहरू जी ,जवाहरल लाल की एक लाड़ली  बेटी प्रियदर्शनी नेहरू  घेंडी कहलाती थीं उनका ज़िक्र नाहक इसलिए जुबां पर आया है क्योंकि आज मुशरफ्फ सोच के लोग रायसीना हिल का घेराव कर रहें हैं। इन्हीं इंदिराम्मा ने देश पर आपातकाल  थोपा था।ईसवी सन था १९७५ में। तब क्या देश का मान बढ़ा था ?
आज पड़ोसी पाकिस्तान के पेशावर हाईकोर्ट ने जनाब मुशर्रफ को फांसी की सजा सुनाई है। कसूर इनने (इन ज़नाब ने )पाकिस्तान में आपातकाल सिर्फ अपनी गद्दी बचाने के लिए मढ़ दिया था।
आज श्रीमती प्रियंका वाड्रा नरेंद्र मोदी की सरकार के बारे में कहतीं हैं नागरिक संशोधन बिल लाकर इस सरकार ने देश का मान घटाया है। पूछा जा सकता है इनके भाई श्री राहुल  घेंडी  ने रेप इन इंडिया कहकर क्या भारत देश का मान बढ़ाया है ?इनकी पूज्या दादीश्री  ने देश में आपात काल  लागू करके क्या भारत को अमृत पिलाया था। यदि इन्होने डिब्बे का दूध नहीं पीया है तो ये कहें हम पाकिस्तान के अपने सहोदरों को भी नागरिकता क़ानून के दायरे में  लायेंगे।ये बतलायें इनकी दादी   और इनके पिता श्री के कार्यकाल में तब जब इनके पिता श्री ने यह उदगार अपनी माँ इंदिरा के अंगरक्षकों द्वारा  उनके शरीर को गोलियों से छलनी करने पर व्यक्त किये थे उनकी मृत्यु के फ़ौरन बाद हुए सिख नरसंहार पर :जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती तो कांपती ही है। ये आकस्मिक नहीं है इंदिराम्मा के मंत्रिमंडल के श्री एच.के.एल भगत का नाम तब लोगों ने भीड़ को उकसाने  वालों में गिनाया था।जगदीश टाइटल साहब को भी भारत वंशी भारत धर्मी समाज आज तक नहीं भूला है इनदोनों की करतूतों ने क्या तब भारत का मान -सम्मान बढ़ाया था। ये लोग आज रायसीना हिल को दबाने झुकाने डराने के लिए कहते हैं नागरिकता बिल यदि रद्द नहीं किया गया तो देश भर में दिल्ली की आग फ़ैल जायेगी। यह क्यों नहीं कहते हम दिल्ली की तरह यत्र तत्र सर्वत्र आग लगा देंगे।डिब्बे का दूध पीने वाले दिल्ली को जहां दुनिया भर के दूतावास हैं  अदबदाकर बदनाम करने की नाकामयाब कोशिश कर रहें  हैं। ये लोग एक मायावी delusion (एक विभ्रम )रच रहें हैं बरगला रहें हैं सीधे साधे सामाजिक हाशिये पे खड़े लोगों को। ये लोग अँधेरे में रस्सी को सांप को नहीं उजाले में मुरादाबादी बर्तन को सांप बतला रहें हैं। मतिभ्रम गलत अवधारणा  इसे ही कहते हैं शिज़ोफ्रेनिक हैं ये पाकिस्तान विचार के लोग। एक साहब है जो हैं तो भारत के एक मशहूर कुनबे के गुलाम लेकिन खुद को  आज़ाद कहते हैं यहां तक तो ठीक 'नबी 'भी बतलातें हैं खुद को। ये वैसे ही है जैसे एक कुनबे के ज़रखरीद  उकील खुद को वकील बतलाएं वह भी सबसे बड़ी अदालत का। ये हैं :अकल.... के ... अबुधकुमार।

एक दुर्मुख हैं जो एक के बाद दूसरा चुनाव हारकर भी खुद को दिक्पराजय सिंह नहीं मानते दिकविजयी बतलाते हैं खुद को। तमाम इसी किस्म के लोगों को सोनिया जी ने पकड़ा हुआ है जो एक राष्ट्रीय अजूबा हैं। खुद इनके लाडले इसकी अप्रतिम मिसाल है इन्हें पता ही नहीं चलता क्या बोलना है और कब बोलना हैं। खुद सोनिया जी हिंदी उचक उचक के ऐसे पढ़तीं है जैसे किसी मदरसे के बालक पढ़ रहें हों- अलिफ़ ,बे, ते ....       

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